फिर शीत-लहर आई/दांत किटकिटाने लगा
कम्बल ना रजाई/मौत का डर सताने लगा
भूखी बीबी-बच्चे/ भूखे बाप-माई
सोच-सोच के हौसला डगमगाने लगा
कल मरा ठंढ से ठिठुर कर वह स्टेशन पर
और फिर आज एक मौत के ठिकाने लगा
शासन-प्रशासन का देखो मज़ाक/ढिठाई
एशिया या अफ्रीका/ पारा गिरे या चढ़े
सत्ता का सौदागर आया/सब्जबाग दिखाने लगा
ये नर-कीट करते ख़राब शान-शौकत हमारी
पी-पी के शराब/ नशे में वह बडबडाने लगा.
--डा० रामलखन सिंह यादव
अपर जिला जज,
मधेपुरा (बिहार)
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