- अपनी भावनाओं, विचारों को संयमित ढंग से व्यक्त करें. बड़े-छोटे की गरिमा का ख्याल अवश्य रखें.
- किसी की बात पर अमल करने से पहले इससे जुड़े विभिन्न पहलूओं पर गौर कर लें. कहीं ऐसा न हो कि वह व्यक्ति आपको बरगला कर अपना कोई काम सिद्ध करना चाहता हो. इससे आपको भविष्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
- बच्चों और उम्रदराजों के साथ सलीके से पेश आएँ. कोई गलती हो जाने पर भी उन्हें विनम्रता से समझाएं. गुस्से में उनके मन में आपकी नकारात्मक छवि बन सकती है.
- प्रोफेशनल तथा पर्सनल रिश्तों को अलग-अलग ही रखें. नहीं तो आप ना तो ठीक से व्यक्तिगत रिश्ता निभा पाएंगी और ना ही प्रोफेशनल रिश्तों को अंजाम दे सकेंगी.
- किसी की कोई बात बुरी लगने पर एकदम से गुस्सा होने की बजाय उसके परिणामों पर विचार करें. बेहतर होगा कि तुरंत रिएक्ट करने की बजाय अपना मन किसी और काम में लगा लें.
- कोई भी निर्णय जल्दीबाजी में न लें. निर्णय लेने से पहले दिल तथा दिमाग दोनों की बात अच्छी तरह सुनें.
- दूसरे के साथ हमेशा सहयोगात्मक रूख अपनाएँ. हर काम के लिए ‘हाँ’ कहने से पहले सोच लें कि क्या आप वह काम समय पर कर पाएंगी ? अगर आपके मन में शंका है, तो विनम्रतापूर्वक मना कर दें. एक बार ‘हाँ’ कहने के बाद अगर आप काम के लिए मन करेंगी, तो आपका इम्प्रेशन बहुत ही बुरा पड़ेगा. हो सकता है सामने वाले से आपके संबंध ही बिगड़ जाएँ.
(साभार: वनिता)
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