बहुत ... बहुत गलत कर दिया तुमने
अपने ऊपर कहर ढा लिया तुमने
माँ की बददुआओं से
खुद को भर लिया तुमने !
सर मेरा कभी झुकनेवाला नहीं
ये जानते हुए - ले गए तुम
अब पल पल जीना हराम होगा
मेरे उन्नत मस्तक से शिव का त्रिनेत्र तुम्हें
देखेगा
एक बार नहीं - कई बार मरोगे तुम !!!
रश्मि प्रभा
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हमें कोई कमजोर ना समझे
हमने लिखे कई अफ़साने हैं
अखंड भारत को ललकारा जब जब
जान पर खेले कई दीवाने हैं
अरे ! कितनी बार धूल चटाई है
फिर भी तेरी, ओ नादान !
अक्ल ठिकाने नहीं आई है
तेरे अंदर बहता है पानी
देखी तेरी कई नादानी
दौड़े लाल रक्त हममें
हर पल सुनाता शौर्य कहानी
बर्बरता की परिभाषाएँ
हम क्षण में ही बदल सकते हैं
चिंगारी मत लगा
आग लगा उलटा तुझे
खाक खाक कर सकते हैं
इतिहास उलट कर देख ले
तुझे तेरा चेहरा दिख जाएगा
अपनी हद में रहना सीख
हरदम मुँह की खाएगा
और जो नहीं बदल सका खुद को
तो दिन दूर नहीं
जब धरती के नक़्शे में
तू खुद को ढूँढता रह जाएगा
भारत के वीर सपूतों को शत शत नमन !
जय हिन्द !
शिवनाथ कुमार
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