कुछ 'शब्द' समेटे है मैंने...
तुम्हारे लिए... .
तुम्हारे लिए... .
तुम कहो तो
इन्हें
पन्नो पर...बिखेर दूँ...
पन्नो पर...बिखेर दूँ...
कुछ 'रंग' जिन्दगी से
चुराये है....तुम्हारे लिए..
चुराये है....तुम्हारे लिए..
तुम कहो तो
जिन्दगी में
तुम्हारी.....भर दूँ...
तुम्हारी.....भर दूँ...
कुछ 'ख्वाब' छुपा लिए
अपनी आखों में....
अपनी आखों में....
तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो
तुम्हारी
पलकों पर...रख दूँ
पलकों पर...रख दूँ
कुछ 'लकीरे' किस्मत से
चुराई है....तुम्हारे लिए...
चुराई है....तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो
तुम्हारी
हथेलियों पर....सजा दूँ .....
हथेलियों पर....सजा दूँ .....
कुछ 'लम्हे' संजो कर
रखे है.....तुम्हारे लिए
रखे है.....तुम्हारे लिए
तुम कहो तो तुम्हारे
साथ.......गुजार लूँ.....
साथ.......गुजार लूँ.....
कुछ 'राहे' बना ली है.....
तुम्हारे लिए...
तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो
तुम्हे
मंजिल तक.....छोड़ दूँ.....
मंजिल तक.....छोड़ दूँ.....
-सुषमा ‘आहुति’
कानपुर
कुछ 'लकीरे' किस्मत से
चुराई है....तुम्हारे लिए...
तुम कहो तो तुम्हारी
हथेलियों पर....सजा दूँ .....
Bahut Badhiya.....