टोपी भाग्य
विधाता
गूँज रहा अब यही स्वर
गूँज रहा अब यही स्वर
बिक रही हैं
टोपियाँ,
गली मोहल्ले
नुक्कड़ चौराहों पर
टोपी भाग्य विधाता ,....
न बेचने वालों को है
टोपी भाग्य विधाता ,....
न बेचने वालों को है
इसका मोल पता
और ना ही खरीदने
वाले को
इसका भाव
टोपियाँ पहनी पहनाई जा रही हैं
देश भक्त अब पैदा ही कहाँ होते हैं
टोपियाँ पहनकर बनाए जा रहे हैं देश भक्त
सब लाचार इन्हीं टोपियों के तले ...
टोपियाँ पहनी पहनाई जा रही हैं
देश भक्त अब पैदा ही कहाँ होते हैं
टोपियाँ पहनकर बनाए जा रहे हैं देश भक्त
सब लाचार इन्हीं टोपियों के तले ...
भूलते जा रहे हैं
राष्ट्रगीत
भूलो देश, भूलो समाज,...भूलो राष्ट्रगान
गावो मेरे साथ ..
भूलो देश, भूलो समाज,...भूलो राष्ट्रगान
गावो मेरे साथ ..
धन धन धन अधिनायक
जय हे
टोपी
भाग्यविधाता।।
-डा० सुधा उपाध्याय, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय
एक टिप्पणी भेजें