मौजूदा
युग में साधनों, सुविधाओं और संसाधनों की कोई कमी नहीं है।
अर्थाभाव भी कोई बहुत बड़ी समस्या अब नहीं रही। सरकार की असंख्य योजनाएं हैं जो आदमी
के गर्भ में आने से लेकर मृत्यु के बाद तक सामाजिक सरोकारों का निर्वहन करने के लिए
समर्थ हैं।
पूरा परिवेश लाभकारी माहौल से भरा हुआ है। योजनाओं,
कार्यक्रमों, परियोजनाओं, अभियानों आदि की हर क्षेत्र में भरमार है। मानव जीवन की प्रत्येक इकाई से लेकर
परिवार, समाज और समुदाय तक की बहुमुखी तरक्की के लिए ढेरों अवसर
खुले हुए हैं।
अवसरों का पूरा लाभ लें
इन सभी के बावजूद अपने विकास के लिए इच्छित इस समंदर
से अपनी प्यास बुझाने और क्षुधा मिटाने के लिए सिर्फ हमें प्रयत्न भर करने की आवश्यकता
है और इसमें भी यदि कोई कंजूसी करता है तो इसका सीधा सा कारण उसकी दरिद्रता और दुर्भाग्य
को ही ठहराया जा सकता है।
आज असंख्यों अवसर हैं जिनका लाभ लेने के लिए पूरी जागरुकता
और दृढ़ इच्छाशक्ति से यदि काम किया जाए तो किसी न किसी हद तक सफलता हासिल की जाकर जीवन
निर्माण के लिए बहुत बड़ा सम्बल प्राप्त किया जा सकता है।
आत्मविश्वास जगाएं
आज की युवा शक्ति को इस दिशा में गंभीरता के साथ सोचने
की जरूरत है। कई लोग महान लक्ष्य ले तो लेते हैं लेकिन उसके लिए प्रयत्नों को पूरा
नहीं कर पाते हैं अथवा किन्हीं बाहरी परिवेशीय हालातों को देख-जान या सुनकर आत्महीनता
से ग्रस्त हो जाते हैं। इस स्थिति को समाप्त करने की आज जरूरत है।
सामाजिक नवनिर्माण में युवा शक्ति की महत्त्वपूर्ण भूमिका
हर युग में रही है। जिस युग में युवाओं में सक्रियता और सामाजिक भागीदारी ज्यादा होती
है वह युग युवाओं के नाम लिखा जाता है और जिस युग में सुप्तावस्था होती है वह अंधेेरे
में खो जाता है।
सामथ्र्य को पहचानें
आज युवाओं से सामाजिक चेतना जगाने और विकास की स्वस्थ
तस्वीर सामने लाने के लिए हर क्षेत्र में युवा शक्ति को संगठित होकर कुछ कर दिखाने
का ज़ज़्बा पैदा करना होगा। तभी इतिहास में युवाओं की शक्ति और सामथ्र्य का महत्त्व
रेखांकित हो सकता है।
समाज और परिवेश को समस्याओं से मुक्त कराकर विकास की
दिशा और दृष्टि प्रदान करने की जिम्मेदारी आज की युवा पीढ़ी पर है, यदि वह निश्चय कर ले तो समाज को नई दिशा प्रदान की जा सकती है। खासकर शिक्षा,
स्वास्थ्य, खेल सहित समाज-जीवन के तमाम क्षेत्रों
में युवाओं की भागीदारी से महान परिवर्तन लाया जा सकता है।
लोकचेतना सबसे बड़ी सेवा
आज आम आदमी और क्षेत्रीय विकास के लिए सरकार की ढेरों
योजनाएं हैं इनसे आम जन को परिचित कराकर विकास के आयामों से सहज ही जोड़ा जा सकता है
लेकिन इसके लिए स्वयं युवाओं को समूहों के रूप में आगे आना होगा, अपनी समझ विकसित करनी होगी तथा आम लोगों के भले से जुड़ी जानकारी उन लोगों तक
पहुंचानी होगी। यह अपने आप में समाज की सबसे बड़ी सेवा है। इससे न केवल युवाओं का व्यक्तित्व
विकास होगा बल्कि जनता में उनकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।
शिक्षा के साथ संस्कारों का समावेश
जरूरी
युवाओं के लिए यह भी जरूरी है कि वे सामाजिक बुराइयों,
कुप्रथाओं तथा नशामुक्ति के कार्य में भी आगे आएं। इसके लिए सामाजिक
चेतना जगाने भजन मण्डलियों का सहयोग लिया जा सकता है। सारे प्रयासों में यह बात सर्वोपरि
रहे कि नई पीढ़ी में शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों का समावेश भी पूरी तरह हो ताकि शिक्षित,
सुसंस्कृत और दीक्षित पीढ़ी भारत के नवनिर्माण में सहभागी हो सके।
गांव-ढांणियों तक फैले जनचेतना
युवाओं
के लिए यह भी जरूरी है कि घर चलाने और सामाजिक आत्मनिर्भरता पाने के लिए शिक्षा तथा
स्वावलम्बन से जोड़कर युवाओं में अपने पाँवों पर खड़े होने का बेहतर माहौल पैदा किया
जाए। ऎसा किया जाना आज युवाओं के विकास व स्थायी लोक चेतना का माध्यम हो सकता है।
युवाओं में जागरुकता सिर्फ शहरी और कस्बाई क्षेत्रों
तक ही सिमट कर नहीं रहनी चाहिए बल्कि इसका लाभ आम ग्रामीणों तक संवहित होना चाहिए।
युवाओं को चाहिए कि वे ग्रामीण विकास के सभी आयामों
में आगे चलकर दायित्वों का संचालन करें ताकि ग्राम्य विकास की धाराओं को मजबूती मिल
सके। गाँवाई युवाओं में संगठन, समन्वय एवं सामूहिक विकास की सोच
जितनी ज्यादा व्यापक होगी, उतना ग्राम्यांचलों का विकास मजबूती
पाएगा।
- कल्पना डिण्डोर
(लेखिका
राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में अधिकारी हैं।)
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