-पी० बिहारी ‘बेधडक’
कटाक्ष कुटीर,महाराजगंज
मधेपुरा.रचनाएं:
सरकारी अस्पताल
फैशन
हुनर माल बनाने का
शिक्षा का खिचड़ीकरण और जिंदगी का चिथड़ीकरण
परमानन्द-चरमानंद पर लगाम
रिश्तों का दामन दागदार हुआ है
मूली की मार
सरकारी योजनाएं
वेलेंटाइन डे बनाम विलेंटाइन डे
मैडम का मायका-प्रेम
चाय
व्यर्थ है यह सपना
‘बोल ब्वायज कोलावरी कोलावरी डी’
प्रगति का आधार: ‘भ्रष्टाचार’ (भाग-२)
प्रगति का आधार: ‘भ्रष्टाचार’ (भाग-१)
आजादी आधी आबादी की
क्या सुधरना जरूरी है?
बिहार को एक पागलखाने की जरूरत है.
लेखन रोग
मेरे गदहा गुरुजी
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