बहुत कुछ लिखवा लेती है,              
तुम्हारी ख़ामोशी.......
तुम कुछ कहते भी नही,
न जाने क्या समझा देती है....
तुम्हारी ख़ामोशी...

अब तक जो कुछ लिखा,
जो कुछ भी जाना..वो,
तुम्हारी ख़ामोशी की अभिव्यक्ति थी....
मेरे अनकहे एहसासों को शब्द देती है,
तुम्हारी ख़ामोशी....
इन शब्दों का अर्थ होती है,
तुम्हारी ख़ामोशी....

मैं सोच में हूँ कि तुम्हारी ख़ामोशी,
इतना क्यों बोलती है ?
मैं जाना भी चाहूं छोड़ कर तो,
खामोश रह कर भी मुझे पुकार लेती है......
तुम्हारी ख़ामोशी......


 -सुषमा आहुति
 कानपुर
1 Response
  1. bahut sundar bhav , isa bolati khamoshi ko shabdon men dhala hai.


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