- यह बात ही है जो बात बनाती तथा बिगाड़ती है. आज के कम्यूनिकेटिव वर्ल्ड में बार कहने के ढंग तथा सलीके पर ही काफी हद तक आपकी सफलता निर्भर करती है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए बातचीत का स्मार्ट ढंग अपनाएँ.
- व्यक्ति चाहे परिचित हो या अपरिचित, हमेशा धीमे स्वर में आत्मीयता से बात करें. सधी हुई संयमित बातचीत सामने वाले के मन पर एक प्रभाव जरूर छोडती है.
- बात करते समय अपने भवों तथा होठों की अभिव्यक्ति पर पूरा नियंत्रण रखें, क्योंकि चेहरे के ये दोनों अंग कुछ बोले बिना ही बहुत कुछ कह जाते हैं. कई बार इनकी वजह से व्यक्ति आपके बारे में गलत अनुमान भी लगा लेता है.
- हमेशा बात करते समय शब्दों की रफ़्तार को संतुलित रखें. कभी भी बहुत जल्दी या बहुत धीरे न बोलें. इससे सामने वाले व्यक्ति को आपकी बात समझने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ेगा. आपके जल्दी-जल्दी बोलने से सामने वाले व्यक्ति आपको जल्दबाज तथा लापरवाह समझ सकता है. इसी तरह आपका धीरे-धीरे बोलना आपने आत्मविश्वास की कमी दर्शाता है. इससे होने वाली बोरियत की वजह से हो सकता है कि वो आपसे बात करने से कतराने लगे.
- हमेशा शांत दिमाग से मधुर एवं विनम्र लहजे में बात करें. अगर आप किसी बात पर सहमत नहीं हैं तो आत्मविश्वास के साथ अपना पक्ष भी जरूर रखें. पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप सामने वाले पर हावी होने की कोशिश करें.
- बातचीत के दौरान अपनी बॉडी लैंग्वेज के प्रति पूरी तरह सतर्क रहें. कई बार हमारे हाव भाव जो हम नहीं कहना चाहते, वह भी कह जाते हैं और इतने में बात बिगड़ जाती है.
- बात करते समय सामने वाले के प्रति पूरी तरह अटेंटिव रहें अन्यथा उसे लग सकता है कि आप बरहद अकडू और घमंडी किस्म की हैं.
- जवाब देने से पहले अच्छी तरह सामने वाले की बात सुन लें. बात को ठीक ढंग से न सुनने की वजह से आप गलत अर्थ भी निकाल सकती हैं.
- खुद भी कोई बात अच्छी तरह सोच-समझ कर ही कहें. बेहतर होगा कि जो बात आपको कहनी हो, उसकी एक रूपरेखा दिमाग में बना लें.
- कोई भी तथ्य पूरे आत्मविश्वास के साथ पेश करें. किसी बात की अच्छी तरह जानकारी ना होने की स्थिति में अपनी प्रतिक्रिया न व्यक्त करें.
(साभार: वनिता)
जी ध्यान रखुगां
और बताने के लिए ध्नयवाद