पुलिस-थाने, प्रशासन, डॉक्टर
किस पर करें ऐतबार ...?
किस पर करें ऐतबार ...?
रक्षक ही अब करने
लगे हैं
मौत का व्यापार .......।।
मौत का व्यापार .......।।
घर के किस खम्भे
के
उखड़ने का गम करें ......
उखड़ने का गम करें ......
यहाँ तो दरके हुए
हैं अपने ..
.सारे दरों -दीवार ....।।
.सारे दरों -दीवार ....।।
मन को होती है
उम्मीद कि
सब हो जाएगा ठीक ...
सब हो जाएगा ठीक ...
मगर कम्बखत ये
उम्मीद
मेरी टूट जाती है हरबार ।।
मेरी टूट जाती है हरबार ।।
फिर होता है कोई
क़त्ल,
कोई लुटता है सरे आम ...
कोई लुटता है सरे आम ...
इज्जत किसी मासूम
की
होती है तार -तार .........।।
होती है तार -तार .........।।
हमे ये सोचना
होगा ..
हमे ही करना भी होगा .......
हमे ही करना भी होगा .......
कि इस भीषण
बीमारी का ..
हो भला किस तरह उपचार ??
हो भला किस तरह उपचार ??
-रचना भारतीय, मधेपुरा.
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