एक सपना सजाई !
किसी ने उजाड़ा,
तो किसी ने जलाई !!
एक दीप जो
जली थी,
खलबली क्यों मची थी !!
किसी ने
बुझाया तो,
किसी ने जलाई !!
लिखती है हाथ पर,
मिट जाती है जुबान पर !
जल जाते है लोग
मगर,
फिर उसने याद क्यों दिलाई !!
मन की लगी थी,
एक आश तो जगी थी,
राख हो गए सपने,
फिर वो याद ही क्यों आई !!
ज़माना गलत है,
मुहब्बत भी गलत है !
अगर नफरत आगे है
प्यार से !
तो फिर मुहब्बत ही
क्यों याद आई !!
: अमर दीप
इनकम टैक्स
कंसलटेंट,
25, college street, कोलकाता
25, college street, कोलकाता
bahut badhiya hai kosish kijiye aur achcha likh sakte hai aap .......bahut badhiya