एहसास तो वही होते हैं,पर मन के बाड़े से निकलकर जब वे कुछ कहते हैं तो ख़ास हो जाते हैं ,,,,,,,
और अक्सर अनुत्तरित !

                 रश्मि प्रभा 

???


महिला माँ के रूप में सर्वोच्च है 
और पुरूष?????
पति के रूप में!!!!!!!!!

तो जो स्त्री बाँझ है???

निपुत्र विधवा सती है????

जो कभी विवाह नहीँ कर पायी परिवार पर कुरबान हो गयी?????

ये 
फतवे क्यों????
बिना दासी बने पत्नी नहीँ बनने देता जो समाज!!!!

जो समाज विवाह पूर्व पुरूष स्त्री दोनों के समान प्रेम से हुयी संतान को हरामी कहकर कूङे में फिंकवा देता है जबकि दोष अगर है फिर दोनों का 
गुनाह ये है कि शरीर में कोख स्त्री के फिट है 
तब वह ""माँ ""उस बच्चे को तो मिलनी ही चाहिये जो बच्चा दोषी नहीँ??????

माँ को पिटता कुटता लात खाता देखता समाज????

तेरी माँ का ####
मादर ####

की घिनौनी गालियाँ बकता पाखंडी समाज 

अगर 
माँ महान् है???

तो बूढ़ी तिरसकृत कल्पवासिनी 40 औरतें कुंभ मेले में जवान बेटों का इंतजार कर रहीँ हैं और वृद्ध आश्रमों में ना जाने कितनी 

माँ 
सिर्फ अपनी महान् है 
क्योंकि वह बिन पैसे की बेशर्त गुलाम है 
ये प्यार जब कहाँ चला जाता है जब माँ के मना करने पर भी नशा और कुपंथ पर दौङ जाता है सपूत 

क्या माँ 
बनने से पहले की स्टेज पर 
स्त्री गुलाम है 
?????
या माँ बने बिना उसका होना व्यर्थ????? 


सुधा राजे 
Women journalists

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