बातें अपने दिल की
गर्भवती
सुबह अपनी प्रयोगशाला पहुँचा
तो अपने नियत स्थान से "शिकागोवाली" गायब थी
बस्ता रखा और अपने घुलते रसायनों को परखने लगा
अचानक "शिकागोवाली" चहकती लैब में दाखिल हुई
स्पैनिश में चहक चहक बतियाती रही
और मैं अपने काम में निमग्न हो गया
अचानक किसी ने पीठ छुआ
देखा "शिकागोवाली" गले में मास्क लटकाए खड़ी है
मुस्कान बिखेरते पूछती है-बोलो मैं खुश क्यों हूँ ?
मैंने मज़ाक में कहा, तुम तो "मामासिता" हो
किसी ने तुम्हारी खूबसूरती पर कविता लिखी होगी
वो हंसती रही और बस हंसती रही
अचानक से मैंने पूछा
सालों से रसायनों का ज़हर पीती हो
कभी पहले नहीं देखा मास्क लगाये हुए?
जवाब आता है -अब मेरे अन्दर दो जानें हैं !
"शिकागोवाली" सुबह से चहक चहक अपनी माँ से
इस नए जान के बारे में कह रही थी
और उसकी माँ फूले नहीं समा रही थी
पहली बार जो वो नानी बनने वाली थी
बोल रही थी मैं तो नानी बनने का सपना बिलकुल भूल चुकी थी
पीएचडी की दीर्घता से व्याकुल होकर
और मातृत्व इच्छा से आकुल होकर
"शिकागोवाली" ने कुंवारी माँ बनने का निश्चय किया था
दिन भर लोग बधाइयां देने आते रहे
किसी के मन ये सवाल नहीं था
की बच्चा जायज है नाजायज
किसी के मन में तिरस्कार नहीं था
किसी ने नहीं कहा कि "शिकागोवाली" कुलटा है
सब जानते थे "शिकागोवाली" बहुत नेक, मददगार इंसान है
सब जानते थे "शिकागोवाली" कुंवारी माँ बन के भी
वैसी ही नेक और मददगार रहेगी
और एक तरफ अतीत को वो दृश्य भी याद करता हूँ
जहां जानबूझकर, अज्ञानतावश या बलात
जब कोई लड़की कुंवारी गर्भवती हो जाती है
तो उसके नरक जाने की रसीद कट जाती है
उसके शील, चरित्र और परिवार की धज्जियां उड़ती हैं
बिना ये जाने कि उस कुंवारी लड़की के कोख में बच्चा आया कैसे
फिर वो दोनों माँ और बच्चा, आजन्म दाग लिए फिरते है
बात सही और गलत की नहीं है
बात है एक ही परिस्थिति को दो नजरिये से देखने की
दो समाजों के अलग नजरिये की
एक तरफ स्वीकार्यता है और दूसरी तरफ मौत का फरमान
एक तरफ सब सामन्य है वहीँ दूसरी तरफ भूचाल
कोठे के अन्दर देह परोसती हर वेश्या की कहानी एक नहीं होती
उसमे भी इंसान होते हैं मेरी और आपकी तरह
और ये भी सच नहीं की अपना पेट काटकर जीनेवाला कंजूस होता है
शायद वो अपने बीमार माँ की दवा के पैसे जोड़ता है
कुंवारी माँ कामान्धी कुलटा नहीं होती
परिस्थिति जाने बिना हम कितनी सहजता से लोगों को वर्गीकृत करते हैं
पर ये जानेगा कौन और क्यों ?
जहाँ नयी नवेली ब्याही मुनिया
मातृत्व की भनक पाते ही
बंद हो जाती है संकुचित होकर लाज के मारे
अपनों से भी छुपी रहती है
क्योंकि वो गर्भवती हो गयी है.
निहार रंजन
*मामासिता (आकर्षक लड़की)
निहार रंजन जी की लेखनी सम्मोहित करती है ....
शुभकामनायें !!
शुभरात्रि !!
सवाल यहाँ अपनी अपनी सभ्यता और संस्कृति की है . इसमें एक लड़की को दोषी मानना हमारी भूल है और अपनी भूल को सुधारने के लिए हमें करनी होगी . वो हर हाल में सम्मानीय है . जब वह बेटी है, पत्नी है और माँ है.