“आई विश कि आप साल-दर-साल यूं ही जन्मदिन मनाते रहो..!
जिंदगी में यूं तो उतार-चढाव होते रहते हैं पर जब
उतार-चढ़ाव के बीच अचानक एक मोड़ आ जाए तो आई थिंक.. कि रास्ते और मंजिलें दोनों बदल
जाते हैं. हमारे बीच ‘हाँ’ और ‘ना’ की बातें जो नजदीकियां से
दूरियां ला रही हैं..कुछ कहना चाहूंगी.....
मुझे नहीं पता कोई इस तरह
समुन्दर में गोते लगा सकता है. लगभग एक साल बाद भी वही गहराई, वही सच्चाई, वही
अपनापन और..और..वही प्यार ! पहली मुलाक़ात से अबतक सफर की यादें एक-एक कर अब भी मेरे
मानस-पटल पर प्रतिबिम्ब की भांति छाई हुई है, वो निश्चलता जहाँ स्वार्थ तो निहित
है पर सामने वाले की भावना का ख्याल हर पल, हर क्षण रखा गया हो. वो साथ गुजारे
लम्हे कुछ पल का साथ, वो यादें, वो एहसास जो मेरे दिल पर भी चोट कर गई और जिंदगी
के सबसे हसीं एहसास दिला गयी. बहुत कुछ पाया आपसे एक अजनबी को इतना कुछ देकर. खुद
के साथ उसके दिल में भी उस फीलिंग को सेव कर आपने अपनी महानता, उदारता और
नि:स्वार्थता का परिचय दिया है. शुक्रगुजार हूँ वर्ना इस एहसास को पाना और जीना
मुश्किल था.
वो मौजें ही क्या जो हिचकोले
लेकर कभी किनारे तक नहीं पहुँच पाए...? डूबने का डर और जीने की चाहत के भंवर में
फंसकर हर लम्हा गुजारे. कोई सौदा नहीं होनी चाहिए हमारे रिश्ते के बीच क्योंकि
बहुत जल्द अलग हो जायेंगे हमारे रास्ते और मंजिलें भी...तब क्या ये सब चल पायेगा
और हम निभा पाएंगे एक-दूसरे को..?
अंकुर तो फूट पड़ा है पर आस-पास का मजबूत और बड़ा पेड़
उसे बाहर नहीं होने देता. अपने वजन से दबा रखा है अंकुरण को. विवश है वो बीज जो
चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा है.
जो दिया इतना ही काफी है अब और दर्द की चाहत नहीं है
मुझे. मुझे जो कहना था कह दिया अब आप जो सही समझो. आपके हर फैसले का इन्तजार
है..हर फैसले की कद्र करुँगी मैं...अब चाहे सजा दो या फिर प्यार, इन्तजार होगा
हमेशा..............!
थैंक्स.”
श्रुति भारती 'लवली'
मधेपुरा.
Thanks...