(अंतर्राष्ट्रीय महिला
दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को बहुत बहुत बधाई औरतों को समर्पित)
औरत
तूने कभी सोचा है,
तूने कभी सोचा है,
जिस
परिधि ने तुझे घेर रखा है
उसकी केंद्र बिंदु तो तू ही है ,
तू कहे अनकहे का
उसकी केंद्र बिंदु तो तू ही है ,
तू कहे अनकहे का
हिसाब
मत रख
किये न किये की
किये न किये की
शिकायत
भी मत कर
तू धरा है, धारण कर .......
दरक मत,
तू धरा है, धारण कर .......
दरक मत,
......तू परिधि से नहीं
परिधि तुझसे है .........
परिधि तुझसे है .........
डॉ
सुधा उपाध्याय
एसोसिएट प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय
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