अ-दा-ल-त/ वह जगह है अनोखी
जहाँ आते हैं/ वादकारी-वियोगी
न्याय की फ़रियाद लेकर
‘जहाँगीरी-इन्साफ’/ ‘रामराज’.....
की याद लेकर
आते हैं/ देते हैं
फीस/ तहरीर/ पेशी/ भेंट/ कीमत
वकीलों की/ मुंशी की/ बाबू की/ न्याय की
न्याय के ठेकेदारों की
लेते हैं तारीखें/ अनगिनत
मुकदमों में/ अगले कारोबार की
और यही सिलसिला चलता है
वर्षों/ बेअंत
यह तबाही/ तिलिस्म
या आधुनिक अदालत है
जहाँ जिस मुक़दमे को
दाखिल किया था-बुद्धू ने
उसे आज लड़ रहे हैं
विद्यासागर-उनके बेटे
और कल लड़ेंगे
विद्याभूषण-उनके पोते
न्याय का रोना रोते
आंसुओं से मुंह धोते
आखिर क्यों/ कैसे.........?
डॉ रामलखन सिंह यादव
अपर जिला जज, मधेपुरा
bahut sndar rachna lachar kaanun ka dard bayan karti rachna badhai
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