जेहन के जहान में खोने-पाने
के अतिरिक्त कुछ है
दौलत की डिबिया
उत्तर, दक्खिन और पूरब पश्चिम
जैसा कुछ नहीं
है,

अगर कुछ तो
उजाले के गीत
अँधेरे से लड़ाई
असमानता से भिडंत
और
समय से सीधे-तीखे होड़
 



डॉ सुनीता
सहायक प्रोफ़ेसर
हंसराज कॉलेज, नई दिल्ली
1 Response
  1. वाह!!! बहुत सुन्दर रचना

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
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