दीन हीन दुखियों को देकर,
आगे हम बढ़ जाते हैं
आगे हम बढ़ जाते हैं
उनको बस एक नोट थमाकर,
आगे हम बढ़ जाते हैं
आगे हम बढ़ जाते हैं
उनकी दुआएं बदले में ले,
उनसे ज्यादा पाते हैं
उनसे ज्यादा पाते हैं
वो तो अधनंगा ही घूमे,
सूट पहन हम जाते हैं
सूट पहन हम जाते हैं
उनको बस एक नोट थमाकर,
आगे हम बढ़ जाते हैं
आगे हम बढ़ जाते हैं
कपड़ा खाना नहीं नसीब में,
नंगे पांव वो खड़ा करीब में
नंगे पांव वो खड़ा करीब में
जूझ रहा अपनी किस्मत से,
तुम पैसे वाले गरीब मैं
तुम पैसे वाले गरीब मैं
बैठे ठंडी गाड़ी में हम,
देख उन्हें रह जाते हैं
देख उन्हें रह जाते हैं
बद्तमीज जाहिल गवांर,
जाने क्या-क्या कह जाते हैं
जाने क्या-क्या कह जाते हैं
उनको बस एक नोट थमाकर,
आगे हम बढ़ जाते हैं
आगे हम बढ़ जाते हैं
जब चुनाव आते करीब में,
नेता दौरा करैं गरीब में
नेता दौरा करैं गरीब में
धोती कुर्ता आटा चावल,
गाड़ी भर लाते बस्ती में
गाड़ी भर लाते बस्ती में
वोट चाहिए उनका बस अब,
क्या-क्या कदम उठाते हैं
क्या-क्या कदम उठाते हैं
ये उनकी बातों में आकर,
जल्दी से बिक जाते हैं
जल्दी से बिक जाते हैं
उनको बस एक नोट थमाकर,
आगे हम बढ़ जाते हैं
आगे हम बढ़ जाते हैं
उनके वोट ही लेकर नेता,
लोक सभा में आते हैं
लोक सभा में आते हैं
उनके टैक्स के पैसे से फिर,
खुलकर मजा उडाते हैं
खुलकर मजा उडाते हैं
थाली बांसमती चावल की,
दो रुपयों में खातें हैं
दो रुपयों में खातें हैं
मिलने का अब समय नहीं है,
उनको ये समझाते हैं
उनको ये समझाते हैं
उनको बस एक नोट थमाकर,
आगे हम बढ़ जाते हैं
आगे हम बढ़ जाते हैं
वो तो फिर भी घूमे नंगा,
किस्मत इनकी जागी है
किस्मत इनकी जागी है
लोकतंत्र कहने को है पर,
जनता बनी अभागी है
जनता बनी अभागी है
अपराधी बन जाय जो नेता,
पुलिस सुरक्षा में उनकी
पुलिस सुरक्षा में उनकी
मारते फिरते थे जो छापे,
वो ही हुकुम बजाते हैं
वो ही हुकुम बजाते हैं
उनको बस एक नोट थमाकर,
आगे हम बढ़ जाते हैं
आगे हम बढ़ जाते हैं
(मित्रों अक्सर आपने देखा होगा की किसी मांगने वाले को कोई कुछ दे कर बढ़ जाता है ये सोचकर कि उसने बहुत अच्छा काम कर दिया अब उसे इसका फल मिलेगा हमारे दिमाग में गाना बजने लगता है तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा कहीं हम दस लाख के चक्कर मैं तो उपकार नहीं करते, प्रतिक्रिया दें)
कवि आदेश अग्रवाल प्रकाश
ऋषिकेश- 249201
उत्तराखण्ड- भारत
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