धूर्त
वो प्रकाश पकड़कर मुट्ठी में
नहीं आने देता झोंपड़पट्टी में.
क्यूंकि प्रकाश पाकर झोपड़ी,
उसके अन्धकार को समझ लेगा.
तो आगामी चुनाव में फिर वो कैसे
अन्धकार से निजात का शपथ लेगा.
वो प्रकाश पकड़कर मुट्ठी में
नहीं आने देता झोंपड़पट्टी में.
क्यूंकि प्रकाश पाकर झोपड़ी,
उसके अन्धकार को समझ लेगा.
तो आगामी चुनाव में फिर वो कैसे
अन्धकार से निजात का शपथ लेगा.
सवाल
आँगन में लहलहाते
कोमल वृक्ष देखकर.
जेहन में आये है
कई झकझोरते सवाल.
ये दोहरी ज़िन्दगी
जीने वाले दोगले
गला घोंट देंगे उसकी
छाया फल देने से पहले.
आँगन में लहलहाते
कोमल वृक्ष देखकर.
जेहन में आये है
कई झकझोरते सवाल.
ये दोहरी ज़िन्दगी
जीने वाले दोगले
गला घोंट देंगे उसकी
छाया फल देने से पहले.
डॉ विश्वनाथ विवेका
कुलसचिव,
बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा.
एक टिप्पणी भेजें