क्या आप जानते हैं ???
पिंजरा भर देता है मन में अनंत आकाश ,
हर बंधन से मुक्ति की छट पटा हट
जड़ता और रिवायतों से विरोध भाव ,
समस्त सुकुमार कोमल समझौतों के प्रति घृणा
यह तो पिंजरे में बंद चिरिया से पूछो ,
क्यूंकि वही जानती है आज़ादी के सही मायने
वो तरस खाती है उस आज़ाद चिरिया पर
जो कोमल घास पर फुदक फुदक कर
छोटे छोटे कीड़े मकौडों को आहार बनाती है
आज़ादी के सच्चे अर्थ नही जानती
और लम्बी तान गाती है ,
अपने में मशगूल अपना
आस पास भुला देती है
उसके गीत में राग अधिक है वेदना कम
वह अपनी मोहक आवाज़ से
मूल मंत्र भी बिसरा देती है
यहाँ पिंजरे में बंद चिरिया की तान
दूर दूर चट्टानी पहाड़ों को भी दरका सकती है
उसके गीत में दर्द से बढ़कर कुछ है
जिसे समझ सकती है केवल पिंजरे की चिरिया .....



डॉ सुधा उपाध्याय, एसोसिएट प्रोफ़ेसर,
जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय.
8 Responses
  1. namaskarbly Says:

    bahut sundar blog banaya h. dheron shubhkamnaye


  2. आज़ादी के सच्चे अर्थ नही जानती
    और लम्बी तान गाती है ,
    अपने में मशगूल अपना
    आस पास भुला देती है === बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति



  3. आजादी के सही मायने तलाशती यह कविता अपने अपने लिए सुविधा जनक दायरों में कैद साथियों के लिए नए प्रश्न और नए समाधान भी जूटा सकती है इन्हीं शुभ कामनाओं के साथ शुभाकांक्षा


  4. आजादी के सही मायने तलाशती यह कविता अपने अपने लिए सुविधा जनक दायरों में कैद साथियों के लिए नए प्रश्न और नए समाधान भी जूटा सकती है इन्हीं शुभ कामनाओं के साथ शुभाकांक्षा


  5. कविता यह स्थापित करने का प्रयास करती है कि आज़ादी से आज़ादी का अर्थ अधिक महत्वपूर्ण है जिसे केवल पिंजरे में कैद चिड़िया ही जन सकती है ......विचारणीय और बहसतलब कविता |




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