क्या आप जानते
हैं ???
पिंजरा भर देता है मन में अनंत आकाश ,
हर बंधन से मुक्ति की छट पटा हट
जड़ता और रिवायतों से विरोध भाव ,
समस्त सुकुमार कोमल समझौतों के प्रति घृणा
यह तो पिंजरे में बंद चिरिया से पूछो ,
क्यूंकि वही जानती है आज़ादी के सही मायने
वो तरस खाती है उस आज़ाद चिरिया पर
जो कोमल घास पर फुदक फुदक कर
पिंजरा भर देता है मन में अनंत आकाश ,
हर बंधन से मुक्ति की छट पटा हट
जड़ता और रिवायतों से विरोध भाव ,
समस्त सुकुमार कोमल समझौतों के प्रति घृणा
यह तो पिंजरे में बंद चिरिया से पूछो ,
क्यूंकि वही जानती है आज़ादी के सही मायने
वो तरस खाती है उस आज़ाद चिरिया पर
जो कोमल घास पर फुदक फुदक कर
छोटे छोटे कीड़े
मकौडों को आहार बनाती है
आज़ादी के सच्चे अर्थ नही जानती
आज़ादी के सच्चे अर्थ नही जानती
और लम्बी तान
गाती है ,
अपने में मशगूल अपना
अपने में मशगूल अपना
आस पास भुला देती है
उसके गीत में राग अधिक है वेदना कम
वह अपनी मोहक आवाज़ से
उसके गीत में राग अधिक है वेदना कम
वह अपनी मोहक आवाज़ से
मूल मंत्र भी
बिसरा देती है
यहाँ पिंजरे में बंद चिरिया की तान
दूर दूर चट्टानी पहाड़ों को भी दरका सकती है
उसके गीत में दर्द से बढ़कर कुछ है
जिसे समझ सकती है केवल पिंजरे की चिरिया .....
यहाँ पिंजरे में बंद चिरिया की तान
दूर दूर चट्टानी पहाड़ों को भी दरका सकती है
उसके गीत में दर्द से बढ़कर कुछ है
जिसे समझ सकती है केवल पिंजरे की चिरिया .....
डॉ सुधा उपाध्याय, एसोसिएट प्रोफ़ेसर,
जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय.
bahut sundar blog banaya h. dheron shubhkamnaye
आज़ादी के सच्चे अर्थ नही जानती
और लम्बी तान गाती है ,
अपने में मशगूल अपना
आस पास भुला देती है === बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
kamal ki abhivyakti
आजादी के सही मायने तलाशती यह कविता अपने अपने लिए सुविधा जनक दायरों में कैद साथियों के लिए नए प्रश्न और नए समाधान भी जूटा सकती है इन्हीं शुभ कामनाओं के साथ शुभाकांक्षा
आजादी के सही मायने तलाशती यह कविता अपने अपने लिए सुविधा जनक दायरों में कैद साथियों के लिए नए प्रश्न और नए समाधान भी जूटा सकती है इन्हीं शुभ कामनाओं के साथ शुभाकांक्षा
कविता यह स्थापित करने का प्रयास करती है कि आज़ादी से आज़ादी का अर्थ अधिक महत्वपूर्ण है जिसे केवल पिंजरे में कैद चिड़िया ही जन सकती है ......विचारणीय और बहसतलब कविता |
bhut khoob
bhut khoob