"मेरी सांसो को हरारत मिली है
जबसे तू मेरे करीब आई है
सरे लम्हात अछे गुजरते हैं
जबसे तू मुझमे शामिल हुई है"

अजनबी तेरी आँखों में डूब गए हैं हम
बाकि दुनिया छोड़ संग तेरे हो चले हैं हम,
कभी न कभी तो सिलेंगे तेरे होंठ मेरे होठों से
यूँ ही अकेले गीत गा-गाकर थक चुके हैं हम.

मेरे तरन्नुम, मेरे तराने, मेरी खुशियाँ
अब तुमसे है जाना,
अंजुमन में यूँ ही प्यासे लबों से
कब तक तुझे पुकारेंगे हम,
तू जो एक दफा छू दे तो
गर्म कोई ऋतु मिल जाये हमें
यूँ ही सर्द-ए-रात में आखिर
कब तक कपेंगे हम.

अपनी जुल्फें लहराकर जाना
दे दे जुंबिस इन हवाओं को
आखिर यूँ ही बिन साँस के
कब तक जियेंगे हम,
तेरे बदन के कह्कशन में जाना
कहीं जन्नत है मेरी
हीरा-ए-हुस्न सलामत रहे तेरा,
वर्षों तक यही दुआ देंगे हम.
"मैं तेरे प्यार में खुद का क़त्ल कर जाऊंगा
कर ले मेरा यकीं तू
खुद को जल कर एक दिन जाना
तुझे रौशन कर जाऊंगा
है मेरी आवारगी तू..."


देव
सिंघेश्वर
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