दिल में नफ़रत लिए अमन की बात
करते हैं
हाथों में कटार लिए चमन की बात करते हैं
वो खफ़ा हैं मुझसे
पूरे होश ओ हवास में
बात उस पर हो तो वहम की बात करते हैं
दिन-रात लगे हैं
लोग ख़ुद की ख़िदमत में
मुश्किल से दो दिन वतन की बात करते
हैं
ख़ुद की ज़िंदगी में कोई खास लहज़ा नहीं
लोगों से महफ़िलों में जतन की बात करते हैं
आज ज़िंदगी में ज़िन्दगी की तिश्नगी है यार
जीते जी अक्सर हम कफ़न की बात करते हैं.
ख़ुद की ज़िंदगी में कोई खास लहज़ा नहीं
लोगों से महफ़िलों में जतन की बात करते हैं
आज ज़िंदगी में ज़िन्दगी की तिश्नगी है यार
जीते जी अक्सर हम कफ़न की बात करते हैं.
मनोज 'आजिज़'
इच्छापुर, ग्वालापाड़ा, पोस्ट- आर आई टी
जमशेदपुर- १४ , झारखण्ड
फोन-- 09973680146
इच्छापुर, ग्वालापाड़ा, पोस्ट- आर आई टी
जमशेदपुर- १४ , झारखण्ड
फोन-- 09973680146
(शायर बहु भाषीय
युवा-साहित्यसेवी हैं, अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी शोध-पत्रिका 'द चैलेन्ज' के संपादक हैं और अंग्रेजी भाषा-साहित्य के अध्यापक हैं । इनकी 7 कविता-ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुकी है.)
Rakesh ji shukriya ! aapne meri ghazal ko tawajjo di ye khushi ki baat hai .
Manoj 'Aajiz'
Jamshedpur, Jharkhand
09973680146