टीवी
मीडिया ने मुनाफ़े के लिए
विज्ञापन को चुना
और
बाज़ार ने उत्पाद बेचने के लिए
स्त्री देह को
दोनों
आर्थिक उदारीकरण के
वैश्विक फैलाव में समान भागीदार बने
स्त्री
को मुक्त और आज़ाद करने के बजाय
वस्तु
बना दिया गया
लोग-बाग़
स्त्री
देह को देखकर
माल ख़रीदने लगे
देह
का
वर्ग विभाजन
यहाँ भी मौजूद दिखा
पूरे वर्ग चरित्र के साथ
यहाँ एक समानता दिखती है
टीवी मीडिया
और
बाज़ार के वर्ग चरित्र में …..

–2—

21वीं
सदी में
बुर्क़ावाद
और
निक्करवादी राष्ट्रवाद
के मुठभेड़ में
लोकतंत्र
अंडरग्राउंड हो गया है
—3—
भूमण्डलीकरण
ने स्त्री देह को
बाज़ारवाद
का भूगोल बना दिया है
जहाँ
भोगवाद
अमरबेल की तरह फैल रहा है


डॉ रमेश यादव
सहायक प्रोफ़ेसर
इग्नू, नई दिल्ली.

1 Response

एक टिप्पणी भेजें