हाय
काश लिख पाती
एक
सार्थक कविता
दे
पाती किसी नेत्रहीन को
वसंती
फूलों का गुच्छा
बधिर
को कोयल की कूक ,
समुन्द्र
के आलोड़न की आवाज़
गूंगे
को उमंगों भरा कोई मधुर गीत
अपंग
को पहाड़ से उड़ने की कूबत
मंदबुद्धि
को इंद्र धनुषी रंगों की
कोई
किताब सार्थक कविता ,
नेत्रहीन
के लिए है
प्यारा
सा स्पर्श
बधिर
के लिए मूक स्पंदन
अपंग
के लिए आकाशी उड़ान ,
मंदबुद्धि
के लिए इन्द्रधनुषी किताब
सार्थक
कविता महक है ......
चहक
है ......छुवन है .....
लगन
है लहक है ......दहक है ......
बाकि
जो कुछ लिखा जाए ...
केवल
लफ्फाजी ...
डॉ. सुधा उपाध्याय (''बोलती चुप्पी से '')
मर्मस्पर्शी..
sundar rachna sudha ji ..........
सार्थक अभिवयक्ति...