एक
दिन कुछ लोग
हमें राह चलते पकड़ लिए
और
धम्म से ज़मीन पर पटके
सब मिलकर
चीत
किये
और
बोले मारो ...को
एक
ने सिर के बायें हिस्से में
एक घूँसा मारा
बोला
साला वामपंथी लगता है
दूसरे ने
दायीं तरफ़ मारा
बोला
दक्षिणीपंथी मालूम होता है
तीसरे
ने सिर के मध्य हिस्से में मारा
और
चीख़ा
साला
यह तो मध्यमार्गीय निकला
उन्हीं में से एक
जाते हुए
सीने पर
एक लात मारा
बोला
कपड़े-जूता से तो साला पूँजीवादी लगता है
सांझ बेला
कल-कारखानों के मज़दूर
उसी राह से घर जा रहे थे
सड़क पर
हमें तड़पते देख रूक गये
सब एक साथ बोले
उठा ले चलो इसे
जनवादी लगता है
और
इस तरह हमें बचा लिया गया...
आत्मबोध


डॉ रमेश यादव
सहायक प्रोफ़ेसर
इग्नू, नई दिल्ली.

2 Responses
  1. Bahut hi samdansheel rachna, soch aur manviy moolyon par kara vyagya. vyang kya yah to yathrth hai dr, sahib... Namaskar aur aabhar is rachna hetu..


  2. डॉ.साहेब !
    शुक्रिया और आभार ...


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