सब
बालू
की भीत की तरह भरभरा कर गिर रहा है
लेकिन
सबकी
निगाहें कहाँ टिकीं हैं
डालर
के मुक़ाबले,गिरते रूपये पर
सबमें
एक तरह की समानता है
सब
फ़िक्र मंद हैं
जो
रूपये
की तरह गिर रहे हैं
और
डालर
की तरह उठ रहे हैं
जो
रूपये
से दबे हैं
या
दबाये
गये हैं
जो
रूपये
के कारोबारी हैं
या रूपये लेने के बदले में
रूपये
कमाने का ठेका दे रहे हैं
और
वो
भी
जिनका
रूपये की ज़ोर पर
भूमण्डल
में आर्थिक साम्राज्य फ़ैला है
सबसे
दिलचस्प
यह है कि
जिनके
पास
रूपये नहीं हैं,वो भी फ़िक्र मंद हैं
जैसे
'हम'
या 'हम' जैसे 'लोग' ...
.....
देखिए
न
भारतीय
समाज
का मूल्य रूपये की तरह गिर रहा है
और असमाजिक तत्वों का मूल्य डालर की तरह बढ़ रहा है
राजनीति
राजनैतिक
दलों अौर राजनीति करने वालों का मूल्य
रूपये
से भी तेज गति से गिर रहा है
लेकिन
जो
राजनीति में घुसकर,
इसे
मुनाफ़ेदार कारोबार में तब्दील कर रहे हैं
उनका
मूल्य डालर की तरह बढ़ रहा है
सरकार
द्वारा
पोषित शिक्षा का मूल्य रूपये की तरह गिर रहा है
जबकि ग़ैर सरकारी-निजी संस्थाओं में
शिक्षा
का मूल्य डालर के अनुपात में
बढ़
रहा है
साझी
संस्कृति
और साझी विरासत का मूल्य रूपये की तरह गिर रहा है
जबकि
अप-संस्कृति
का मूल्य डालर की तरह बढ़ रहा है
जैसे-जैसे
रूपये
का मूल्य गिर रहा है
वैसे-वैसे अर्थशास्त्र,अर्थशास्त्रियों का मूल्य डालर की तरह बढ़ रहा है
मीडिया का मूल्य
रूपये
की तरह गिर रहा है
लेकिन
मीडिया
मालिकों,मालिकों के सलाहकारों,चाटुकारों,दलालों,मैनेजरों
और
उनके
हितपोषकों का मूल्य डालर की माफ़िक़ बढ़ा है
मुख्यधारा
मसलन
प्रिंट-इलेक्ट्रानिक
मीडिया का मूल्य रूपये की तरह गिरा है
जबकि
सोशल
मीडिया
का मूल्य डालर की तरह बढ़ा है
लोकतंत्र
का
मूल्य रूपये की तरह गिर रहा है
लेकिन
लोकतंत्र
के पहरुओं का मूल्य डालर की तरह बढ़ रहा है
श्रम
का
मूल्य रूपये की तरह गिर रहा है
लेकिन
श्रम
चूसकों का मूल्य डालर की तरह बढ़ रहा है
खेतिहर-मज़दूरों
छोटे-मंझोले
किसानों का मूल्य रूपये की तरह गिर रहा है
जबकि कारोबारी-मुनाफ़ाख़ोर अढ़तिये
खेत
में पैदा होने वाले उत्पादों का मूल्य डालर की तरह बढ़ा रहे हैं
आम
आदमी
का मूल्य रूपये की तरह गिर रहा है
जबकि ख़ास
आदमी
का मूल्य डालर की तरह बढ़ रहा है
महिलाओं
की
नुमाइश से बेची जा रहीं वस्तुओं का दाम डालर की तरह बढ़ा है
जबकि
बाज़ार
ने महिलाओं का मूल्य समाज से इतर गढ़ा है
फ़िलहाल महिलाओं के मसले पर
रूपये
और डालर में जंग जारी है.
©
2013 आत्मबोध
डॉ रमेश
यादव
सहायक
प्रोफ़ेसर
इग्नू, नई दिल्ली.
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