तुम्हारी
हँसी
सिखाती है मुझे जीना,
सिखाती है कलियों को शर्माना।
तुम्हारी यही हँसी
बढ़ाती है मेरा उत्साह,
देती है एक सहारा
जीतने दुनिया को,
मगर हार जाता हूँ
नहीं चाहता जीतना
तुम्हारी सुन्दर हँसी से।
मैं देखना चाहता हूँ
हर पल हँसते तुम्हें,
जिससे हँसता रहूँ मैं भी,
और हारता रहूँ तुमसे
जीत जाने को।
अक्षय नेमा मेख
09406700860
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