रात चाँदनी छत पर
भोला
चंदा मामा से यूँ
बोला
लेकर तारों कि
बारात
कहाँ निकल जाते
हो तात ।
चंदा बोले मेरा
काम
सुन लो प्यारे
भोला राम
सूरज दिन भर करते
काम
थक कर फिर करते
विश्राम ।
सरिता, पथ, वन और पहाड़
सब पर छाता
अंधकार
मैं अपना धर्म
निभाता हूँ
पथिकों को राह
दिखाता हूँ ।
दिन की तपन
मिटाता हूँ
शीतल लेप लगाता
हूँ
भोला बोला--तुम
महान हो
तेरी सेवा का सदा
गान हो ।
मैं भी जब पढ़
जाऊँगा
सेवा धर्म निभाऊँगा
।
डॉ बच्चन पाठक 'सलिल'
पता-- आदित्यपुर-,
जमशेदपुर, झारखण्ड
फोन- 0657
/ 2370892
एक टिप्पणी भेजें