थम सी गयी हैं
सांसें साहित्य की,
रुक गया है लेखनियों का जीवन.
आप जो हमें छोड़ गए मालिक,
कैसे इस अंधकार में जिए हम.
ये धरती और ये आसमान,
कर रहीं अफ़सोस आपके जाने का.
कह रही हैं चारो दिशाएं,
चलेगी कैसे हंस पत्रिका.
सूना छोड़ अपना बागवान,
क्यों चले गये इनके भगवान्.
कौन सींचेगा अब नन्हें पौधों को,
कहीं बन न जाये ये शमशान.
संघर्ष हजार किया जीवन में,
परिवर्तन लाया डटकर दुनिया में.
किया सामना हर विह्वंश का,
संचालन किया नए हंश का.
कठिनाइयाँ कितनी भी आई राहों में,
हर ना माना कभी इन्होने.
खुलकर जिया हर पल को अपने,
और दिया नए अवसर को पंख.
बनाया नए सोच का इतिहास,
बचाया हिंदी भाषा की लाज.
क्या कहूँ अब तारीफ में इनकी,
शब्द नही है मेरे पास.
हजारों नए प्रतिभा को दिया मौका,
सम्मान दिया जाने कितने लेखक को.
मान लिया अपना आदर्श,
मैंने इस अमर-आत्मा को.
तुच्छ लेखनी से श्रद्धांजलि अर्पित,
हमारे पूज्य राजेंद्र सर को.
रुक गया है लेखनियों का जीवन.
आप जो हमें छोड़ गए मालिक,
कैसे इस अंधकार में जिए हम.
ये धरती और ये आसमान,
कर रहीं अफ़सोस आपके जाने का.
कह रही हैं चारो दिशाएं,
चलेगी कैसे हंस पत्रिका.
सूना छोड़ अपना बागवान,
क्यों चले गये इनके भगवान्.
कौन सींचेगा अब नन्हें पौधों को,
कहीं बन न जाये ये शमशान.
संघर्ष हजार किया जीवन में,
परिवर्तन लाया डटकर दुनिया में.
किया सामना हर विह्वंश का,
संचालन किया नए हंश का.
कठिनाइयाँ कितनी भी आई राहों में,
हर ना माना कभी इन्होने.
खुलकर जिया हर पल को अपने,
और दिया नए अवसर को पंख.
बनाया नए सोच का इतिहास,
बचाया हिंदी भाषा की लाज.
क्या कहूँ अब तारीफ में इनकी,
शब्द नही है मेरे पास.
हजारों नए प्रतिभा को दिया मौका,
सम्मान दिया जाने कितने लेखक को.
मान लिया अपना आदर्श,
मैंने इस अमर-आत्मा को.
तुच्छ लेखनी से श्रद्धांजलि अर्पित,
हमारे पूज्य राजेंद्र सर को.
भावना मिश्रा
मधेपुरा
मधेपुरा
अति सुंदर रचना
Nice one.......gr8
ये तो बहुत अच्छा ब्लाग बनाया है आपने। अब इस पर अपनी रचनाऍं आप संजो सकती है । पूरी दुनिया के सम्मुख रख सकती हैं।
बधाई भावना। शुभाशीष के साथ।
dhanyawad
shukriya