खोलो आँखें अपनी और आगे कदम बढाओ ।
मुश्किलें सारी भागेगी लड़ के तो जरा
दिखाओ।।
ये भूख और बदहाली, तेरे ही कारण हैं,
छोड़ो ये नाकारापन अब कर्मवीर बन जाओ ।।
मुश्किल सारी....................................।
अज्ञान के अंधेरों में कबतक यूँ
भटकोगे,
बीत रहा है समय, हाथों में कलम उठाओ ....।
मुश्किल सारी....................................।
उड़ान तुझे कोई भी, तब तक है नहीं दे सकता,
जब तक स्वयं तुम भी न अपने पंख उठाओ
।
मुश्किल सारी....................................।
बस दोष किसी को देना, आसान बहुत होता है,
कितना अच्छा हो कि सब अपने फर्ज़ निभाओ।
मुश्किल सारी................ .....
.............।
रचना भारतीय,
मधेपुरा
(ग्रामीण विकास पदाधिकारी, सहरसा में पदस्थापित)
प्रसंसनीय ..हार्दिक बधाई