जिन पर शब्दों का जादू चलता है,
वे शाब्दिक अस्त्र से मारे जाते हैं
शब्द खुद ही होते हैं द्रोण - एकलव्य
अर्जुन-कर्ण
सारथि-भीष्म
शब्द ही पासे
शब्द ही शकुनि
शब्द ही करते हैं चीरहरण
शब्द ही संकल्प उठाते हैं
शब्द ही चक्रव्यूह - अभिमन्यु
और मारक प्रिय जन
असली जीवन शब्दों में
असली मृत्यु शब्दों से !
हास्य एक मृदु रिश्ता भी
हास्य मखौल भी
शब्द और शब्दों के साथ चेहरा
गहन शाब्दिक मायने देते हैं
शब्द शब्द सहलाता है मौन हो
तो शब्द शब्द नश्तर भी चुभोता है मौन हाहाकार कर
हँसता है शब्द विद्रूप हँसी
रोता है शब्द कातर होकर
शब्दों की अमीरी
शब्दों की गरीबी
आदमी को आदमी बनाती है
आदमी को प्रश्न बनाती है
आदमी को हैवान दिखाती है
तो - शब्दों के ब्रह्ममुहूर्त से
प्रार्थना के शब्द लो
अर्घ्य में अमृत से शब्दों का संकल्प लो
फिर दिन की,जीवन की शुरुआत करो …
वे शाब्दिक अस्त्र से मारे जाते हैं
शब्द खुद ही होते हैं द्रोण - एकलव्य
अर्जुन-कर्ण
सारथि-भीष्म
शब्द ही पासे
शब्द ही शकुनि
शब्द ही करते हैं चीरहरण
शब्द ही संकल्प उठाते हैं
शब्द ही चक्रव्यूह - अभिमन्यु
और मारक प्रिय जन
असली जीवन शब्दों में
असली मृत्यु शब्दों से !
हास्य एक मृदु रिश्ता भी
हास्य मखौल भी
शब्द और शब्दों के साथ चेहरा
गहन शाब्दिक मायने देते हैं
शब्द शब्द सहलाता है मौन हो
तो शब्द शब्द नश्तर भी चुभोता है मौन हाहाकार कर
हँसता है शब्द विद्रूप हँसी
रोता है शब्द कातर होकर
शब्दों की अमीरी
शब्दों की गरीबी
आदमी को आदमी बनाती है
आदमी को प्रश्न बनाती है
आदमी को हैवान दिखाती है
तो - शब्दों के ब्रह्ममुहूर्त से
प्रार्थना के शब्द लो
अर्घ्य में अमृत से शब्दों का संकल्प लो
फिर दिन की,जीवन की शुरुआत करो …
बहुत सुंदर वाह !
शब्दों के घर्षण से प्रज्वलित
जीवन यज्ञ के हवन कुण्ड की अग्नि में
शब्दों की ही आहुति दो
और शब्दों के ही प्रतिफल को
प्रारब्ध का पुरस्कार मान
ललाट की रेखाओं में बसा लो !
यही तो करते आ रहे हैं हम सब ! है ना ! बहुत ही सुंदर एवँ मननीय रचना !