ये बादलों से घिरा आसमान
ये फूलों से भरी वादियाँ,
जाने क्यों मन को सताती है?
ये हवाओं का आकर
खिलखिलाना,
ये मादक महक
का फैल जानाजाने
किस जीवन की याद दिलाती है
वो बारिस मे नहाना, वृक्षों का डोल जाना
जाने क्यों मन को सताती है?
फिर किसी का याद आना, और अकेलेपन का भाना
जाने किस जीवन की याद दिलाता है?
वो जीवन जिसमें न डर है, और ना ही द्रेष है
वो जीवन जिसमें न सीमा, और ना ही क्लेश है
इस सुधा की राग्नि ख्वाबों में आती है.
जाने किस जीवन की याद दिलाती है
आदित्य सिन्हा
ये फूलों से भरी वादियाँ,
जाने क्यों मन को सताती है?
ये हवाओं का आकर
खिलखिलाना,
ये मादक महक
का फैल जानाजाने
किस जीवन की याद दिलाती है
वो बारिस मे नहाना, वृक्षों का डोल जाना
जाने क्यों मन को सताती है?
फिर किसी का याद आना, और अकेलेपन का भाना
जाने किस जीवन की याद दिलाता है?
वो जीवन जिसमें न डर है, और ना ही द्रेष है
वो जीवन जिसमें न सीमा, और ना ही क्लेश है
इस सुधा की राग्नि ख्वाबों में आती है.
जाने किस जीवन की याद दिलाती है
आदित्य सिन्हा
बहुत सुंदर रचना ।