तुमने दिखाए सपने
प्यार के मुझे
मैं ठहरा पागल
जो हुआ तुम पे
भरोसा मुझे
तुम्हारी बातों को
लगाया था दिल से मैंने
शायद प्यार किया था
तुमसे मैनें
पर........
अचानक मौसम की तरह
बदल जाना तेरा
समझ में न आया मेरी
दोष किसे दू.
तुम्हें ?
अपने प्यार को?
कभी नहीं,
जानता हूँ,
दोष मेरी किस्मत का हैं,
जो मुझे मिली तेरी दिल्लगी लगी
और न मिल सके तुम
राकेश सिंह (मधेपुरा, बिहार, इंडिया )
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