कभी अपने लगे
कभी बेगाने लगे
जैसे भी लगे , रिश्ते
सुहावने लगे
कभी गम दिये
कभी आँख नम दिये
जैसे भी दिये खुशियों के
मौसम दिये
लम्हा लम्हा चलते रहे
दिल में सपने बुनते रहे
ख्वाब टूटा तो लगा कांच
के पैमाने दिये रिश्ते
जैसे भी दिये
सुहावने दिये
कभी ख्वाबो के महल नाये
आँखों में हर लम्हा सजाये
जब टुटे तो माला से
मोती बिखर जाये
नाजुक थे इतने की
खींचे तो गांठ पड़ जाये
उमेश कुमार चरपे
बैतूल , मध्यप्रदेश
कभी बेगाने लगे
जैसे भी लगे , रिश्ते
सुहावने लगे
कभी गम दिये
कभी आँख नम दिये
जैसे भी दिये खुशियों के
मौसम दिये
लम्हा लम्हा चलते रहे
दिल में सपने बुनते रहे
ख्वाब टूटा तो लगा कांच
के पैमाने दिये रिश्ते
जैसे भी दिये
सुहावने दिये
कभी ख्वाबो के महल नाये
आँखों में हर लम्हा सजाये
जब टुटे तो माला से
मोती बिखर जाये
नाजुक थे इतने की
खींचे तो गांठ पड़ जाये
उमेश कुमार चरपे
बैतूल , मध्यप्रदेश
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