घड़ी की सुई
नहीं थम रही.
वक़्त गुजर रहा
और हम हैं खड़े
वहीं.
जिंदगी की घड़ी
हैं बहुत ही छोटी,
और रुक सकती हैं
कभी भी .
हमारा रुकना तो
नहीं हैं जिंदगी.
आओ कुछ ऐसा करें
हम ....
कि मौत के बाद भी
लोग रखें याद हमें.
.
और चलती रहे
मौत के बाद भी
जिंदगी.
राकेश सिंह (मधेपुरा, बिहार, इंडिया)
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