दीन हीन फकीर,
पहुँच गया सरकारी अस्पताल में;
स्वास्थ्यकर्मियों ने अनदेखी की,
छोड़ दिया उसे उसी हाल में.
मरीज कुछ ज्यादा समझदार था,
समझ गया माजरा एक नजर में;
कहते यह चल दिया वहां से,
डालकर हाथ अपनी कमर में.
दूर से देखा, सोचा था मन में,
जन्नत है या दरगाह है;
मगर आकर अब पता चला,
यह तो अदद सरकारी कब्रगाह है.
पी० बिहारी ‘बेधड़क’
कटाक्ष कुटी, महाराजगंज (मधेपुरा)
चलभाष- 9006772952
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