तुम सुनना ज़रा सा गौर से,
अब शुरू हुई पुरवाई है ,
तुम चलना ज़रा सा गौर से,
एक लड़का है उखड़ा-उखड़ा,
तुम सब के झूठे प्यार से,
एक लड़का है सहमा-सहमा,
वो शायद है 'बिहार' से,
ये गलती है उसने जो की,
वो आया दूजे राज्य से,
डरपोक नहीं वो चिंतित है,
बढ़ते भारत के भाग्य से,
एक मंच मिला मेरी ही तरह,
तो उसने शुरू कहानी की,
हर बिहारी के दुख दर्द को,
उसने अपनी जुबानी दी,
फिर शुरू हुआ एक शोषित का,
शोषण से भरा माफीनामा,
फिर शुरू हुआ इतिहास का,
गौरवशाली कीर्तिनामा ,
तुम्हें शून्य मिला उस शून्य का,
जन्मदाता एक बिहारी है,
हुआ लोकतंत्र का जन्म जहां,
वैशाली वो बिहारी है,
अशोक चंद्रगुप्त और न जाने कितने,
वीरों का खून बिहारी है,
हुई शिक्षा की शुरुआत जहां,
वो नालंदा बिहारी है,
हैं अतिथि जहां देवो भवः,
वह महाराष्ट्र नहीं बिहार है,
जहां युद्ध करो तो सुई नहीं,
मोहब्बत में हाज़िर जान है,
सरहद पर बेटों के बेटे,
और पीढ़ियां भी कुर्बान है,
उस पुण्य भूमि का बेटा हूं मैं,
यही मेरी पहचान है,
'बिहारी' गाली नहीं एक ओहदा है,
ये मेरा गुरुर, यही मेरा अभिमान है,
ये मेरा गुरुर, यही मेरा अभिमान है।।
गुंजन गोस्वामी
सिंहेश्वर, मधेपुरा
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