जीवन
है स्रोत खुशियों का
आशाओं
की फुलझड़ियों का
सुन्दरता
इसकी तुम देखो
पथ
पर आगे बढ़ते जाओ.
माना
थोड़ी सी खुशियाँ हैं,
पर
है, थोड़ी खामोशी भी
है,
दर्द अगर तो क्या हुआ?
थोड़ी
है, खुशियों की मदहोशी भी.
पर
हो न निराश दुखों से तुम
गम
के सारे अवरोधों से तुम
जिस
जीवन में तकलीफ नहीं
वह
जीवन ही क्या जीवन है?
तुम
तकलीफों से हारों मत
खुद
को जीते जी मारो मत
क्या
हुआ जो सपने टूट गए
खुशियों
के पल जो रूठ गए.
गम
का क्या है, आना-जाना
ऐसे
ही खुशियाँ भी आएँगी
होंगे
तेरे सपने पूरे
संघर्ष
करो तुम जीतोगे
दुनियाँ
देखेगी तुमको और
तुम
जीत का जश्न मनाओगे.
-मधु
कुमारी,
वारिसलीगंज, नवादा.
(सम्प्रति: सहायक, सिविल कोर्ट मधेपुरा)
(सम्प्रति: सहायक, सिविल कोर्ट मधेपुरा)
NICE PEOM.